जीवन और पृष्ठभूमि
"जागऽ ए भोजपुर, जागि उठऽ, पूरब में धउरत लाली बा" जेसी की कविता एक नवजागरण की ज्योति है, उसी की कौंध के छानी के ज्योंति जीवन पर जोर दीके भोजपुरी के गौरव की पहचान में कायमाब छोड़ा जाता है।
जन्म और शिक्षा
डॉ. राम विचार पाण्डेय जी का जन्म 2 मार्च 1900 को उत्तर प्रदेश, उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के गावों दामोदरपुर (गढ़वाड़) में हुआ था। उनके माता का नाम रुक्मिणी देवी और पिता का नाम हरि नारायण पाण्डेय था।
चिट्ठे साल की उम्र से ही उन्होंने हिंदी और भोजपुरी की कविताएं लिखना शुरू कर दी की जीवन के और जगीवन की गंदाई में एक खास चिहर की छाप छोड़ गए।
जनम, पढ़ाई आ चिकित्सा के संघर्ष
डॉ. राम विचार पाण्डेय जी के जनम 2 मार्च 1900 के, उत्तर प्रदेश के बलिया जिला के दामोदरपुर (गढ़वांड़) गांव में भइल रहे। उहाँ के माई के नाम रुक्मिणी देवी आ बाबूजी के नाम हरि नारायण पाण्डेय रहल। बचपन से ही डॉ. पाण्डेय जी में विद्या, अनुशासन आ साहित्य के गहिरा लगाव रहल।
बहुत कम उमिर में—चिट्ठे बरिस के रहबें तबे—हिंदी आ भोजपुरी में कविता लिखे लागलें। जीवन के सुख-दुख, समाज के सच्चाई आ लोक-मन के संवेदना उनकर रचना में गूंजे लागल, जवना से उ जीवन के गहराई में उतर गइलें।
सन् 1920 में छपरा जिला स्कूल से मैट्रिक पास कइला के बाद, ऊ कोलकाता चल गइलें, जहाँ प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य गणनाथ सेन सरस्वती जी के सान्निध्य में आयुर्वेद के पढ़ाई शुरू कइनीं। 1930 में बलिया में आयुर्वेदिक इलाज के प्रैक्टिस चालू भइल। उनका चिकित्सा सेवा के जल्दे मान मिलल, लोग उन्हें भरोसे के डॉक्टर माने लागल।
बाकिर कुछ एलोपैथिक डॉक्टरन के ई तंज—"पाण्डेय जी त एमबीबीएस नइखन"—उनका आत्मसम्मान पर चोट कइलस।
एही बात से प्रेरित होके पाण्डेय जी 62 बरिस के उमिर में इंटरमीडिएट के परीक्षा पास कइलें, आ प्री-मेडिकल टेस्ट देके दरभंगा मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेबे खातिर प्रयास कइलें। उमिर जादे होखला का कारण से कॉलेज से मना हो गइल, बाकिर ऊ हिम्मत ना हारलें। कोर्ट में केस लड़े के ठानीं, आ फैसला जब ऊ लोग के पक्ष में आइल, त 63 बरिस के उमिर में एमबीबीएस में दाखिला मिलल।
कुछे साल में पढ़ाई पूरा करके डिग्री लिहलें आ फेर एलोपैथी में भी वैसा ही कुशल बन गइलें जइसन आयुर्वेद में रहलें। एके साथे आयुर्वेद आ एलोपैथी दुनों में निपुण चिकित्सक बन के उ आपन अलग पहचान बनवलें।